Wednesday, October 20, 2021

सोचती हूँ--- आज यह जो कुछ अपने मन के भीतर का कागज़ों पर रख कर दिखा रही हूं, यह केवल उनके लिये है, जो संसार की परम्पराओं और कठिनाइयों और उदासियों को दरवाज़े के बाहर बिठाकर, मन के सच को जीने का साहस कर सकते हैं !🤎✍ ----------Amrita Pritam.

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