Wednesday, October 20, 2021

मैं हूँ ढलती शाम अगर....... तो उस शाम में एक जलता ...दिया... है तू ..... 💝💝 . मैं हूँ इश्क़ सच्चा अगर........ तो मुझमें मौजूद मासूम सी ...दुआ... है तू...... 💝💝 . मैं हूँ तपती धरती सी जो तो ठंडक पहुंचाता ठंडी ठंडी...हवा ... है तू..... 💝💝 . मैं हूँ ज़ख़्मी मोहब्बत अगर..... तो उसे राहत देता दर्द ए ...दवा... है तू ..... 💝💝 . तू नहीं तो मैं कुछ भी नहीं, क्योंकि मेरी वजूद की रूह में...बसा... है तू…… 💝

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