Saturday, October 23, 2021

है अजीब शहर कि ज़िंदगी, न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर, कहीं बदमिज़ाज सी शाम है♡ ❥✿◠❥✿╰»◠❥✿

0 Comments:

Post a Comment

<< Home