Tuesday, July 27, 2021

.पलकों पे शबनम लिखते हैं, जब आँखों का ग़म लिखते हैं, ♡ गीत ग़ज़ल सब झूठी बातें, ज़ख़्मों पे मरहम लिखते हैं, ♡ रूठा है इक साथी जबसे, चाहत के मौसम लिखते हैं, ♡ उनका है कुछ ज़्यादा हिस्सा, खुद को थोड़ा कम लिखते हैं, ♡ जब तन्हा रोती हैं रातें, यादों को हमदम लिखते हैं....🌹💖🌂☔

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