Thursday, July 22, 2021

ग़म तो कोई नही फिर भी उदास है दिल... शिकवा यू कोई नही फिर भी गुनहगार है दिल... कोई आस नही मचलती फिर भी शाम-ए-इंतज़ार है दिल... कोई ज़ख्म नही दिखते फिर भी खून-ए-बहार है दिल... किसी खामोश पतझड की तरह अपनी डाली से टूट रहा है दिल... मुझे बेरूख कर.. मुझ ही से रूठ रहा है दिल...

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