Tuesday, February 16, 2021

ख़ुश्बू ग़ुँचे तलाश करती है बीते रिश्ते तलाश करती है जब गुज़रती है उस गली से सबा ख़त के पुर्ज़े तलाश करती है अपने माज़ी की जुस्तजू में बहार पीले पत्ते तलाश करती है एक उम्मीद बार बार आ कर अपने टुकड़े तलाश करती है गुलज़ार

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