Sunday, January 24, 2021

ओस पडी थी रात बहोत और कोहरा था गरमाइश पर सीली सी खामोशी मे आवाज सुनी फर्माइश पर फासले है भी और नही भी नापा तोला कुछ भी नही लोग बजीद रहते है फिर भी रिश्तो की पैमाइश पर ! ~गुल.जार

0 Comments:

Post a Comment

<< Home