Saturday, January 23, 2021

Poem....khubsurat... ख़ुशबू सी निकलती है तन से जैसे कोई गुज़रे बदन से आँख़ों का सपना है बोले तो अपना है मैं अधूरी सी एक उदासी हूँ..... आसमाँ का कोना एक उठा के चूमता है नींद से जगा के जैसे कोई सपना है वैसे तो अपना है मैं अधूरी सी एक उदासी हूँ मैं ख़्वाब हूँ या, ख़्वाब की प्यासी हूँ.....Gulzar...!!

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