Thursday, May 07, 2020


A beautiful song by Gulzar ...
साहिलों पे बहनेवाले कभी सुना तो होगा कही
काग.जों की कश्तियों का कही किनारा होता नही
ओ माझी रे, माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वो अपना किनारा हैं

पानीयों में बह रहे हैं , कई किनारे टूटे हुये
रासतों में मिल गये हैं सभी सहारे छूटे हुये
कोई सहारा मझधारे में मिले जो अपना सहारा है ....💛🌿
https://youtu.be/jX3rfM34uaM
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 💛🌿
 
 
 
 

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