Tuesday, February 08, 2022

8 फ़रवरी 2014 Tribute to Jagjit Singh : 💛🌻 . एक बौछार था वो शख्स बिना बरसे किसी अब्र की सहमी सी नमी से जो भिगो देता था . एक बौछार ही था वो जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था... नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं . सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह लगता था झोंका हवा का है कोई छेड़ गया है.. . गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी . गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो एक अवाज़ की बौछार था वो... ~ गुलज़ार .🌻 ये वक्त जो तेरा है, ये वक्त जो मेरा है हर गाम पर पहरा है, फिर भी इसे खोना है . आवारा मिज़ा.जी ने फैला दिया आंगन को आकाश की चादर है धरती का बिछौना है ..💛🌻 https://youtu.be/T_uk2upaX04

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