Wednesday, November 10, 2021

उदास आँखें ग़ज़ाल आँखें जवाब आँखें सवाल आँखें हज़ार रातों का बोझ उठिए वो भीगी पलकें वो लाल आँखें वो सुब्ह का वक़्त नींद कच्ची ख़ुमार से बे-मिसाल आँखें बस इक झलक को तड़प रही हैं रहीन-ए-शौक़-ए-विसाल आँखें * झुकी झुकी सी मुँदी मुँदी सी अमीन-ए-नाज़-ए-जमाल आँखें * वो हिज्र के मौसमों से उलझी थकी थकी सी निढाल आँखें * न जाने क्यूँ खोई खोई सी हैं बुझी बुझी पुर-ख़याल आँखें * हैं शोख़ियों से छलकने वाली मोहब्बतों से निहाल आँखें * अगर निगाहों से मिल गईं तो करेंगी जीना मुहाल आँखें * छुपे हुए हैं हज़ार जज़्बे बला की हैं ये कमाल आँखें * #असरा_रिज़वी

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