Sunday, August 01, 2021

मखमली सी हवा खुलकर बिखरी है संगदिल सी महक़ लिए भीगे मौसम की इस रुत में वो फूल खिला है इक जो एक पल के लिए महक रहा है कहीं मुझमें अबतक..

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