Tuesday, April 20, 2021

आसमाँ की ओस को, ज़मी के इश्क में शबनम में बदलते देखा है रातरानी को भी इबादत में चाँद की सुबह तलक महकते देखा है नफा और नुकसान मोहब्बत में , ये तो बस हम इंसानो की फितरत में होता है वर्ना चमेली को , काँटों भरे गुलाब की बाँहो में हमने कई बार सिमटते देखा है ✿ ღ

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