Thursday, April 01, 2021

*एक मुद्दत से आरज़ू थी* *फुरसत की ...* *मिली , तो इस शर्त पे कि* *किसी से ना मिलो .. . शहरों का यूँ वीरान होना कुछ यूँ ग़ज़ब कर गया ... बरसों से पड़े गुमसुम घरों को आबाद कर गया ...!!! . घर गुलज़ार., सूने शहर., बस्ती-बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई ., . आज फिर ज़िन्दगी महँगी और दौलत सस्ती हो गई .....!!! 😟

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