Tuesday, March 09, 2021

महिला दिवस...... वर्ष में एक निर्धारित दिन प्रशस्ति गान बातें स्वतन्त्रता, स्वायत्तता, आत्मनिर्भरता की बस में मुफ़्त यात्रा, कुछ महिमा मंडन दे कर एक देवी का दर्जा कितना आसान है ख़ुश करना जिस तरह डर कर चिरौरी की जाती है काम वाली बाई की देश की मनस्वनियों का ख़ुश रहना उतना ही ज़रूरी अगर सच में मनाना है तो आओ चकले में पुरूष को बसाओ, बार में उस से डाँस करवाओ जब तक समझ ना पाए वो विवशता और जिदंगी की त्रासदी देहाडी और मज़दूरों में मुनादी पिटवा दो दिन भर बच्चे लाद काम करे शाम को चूल्हा फूँक रोटी उतारे मज़दूरनों को एक पूरे दिन भर बीड़ी फूँकने दो सड़क के पोस्टर में अर्धनग्न काले आदमी को गुलाबी साबुन से नहाते नहाते लजाने दो सुडौल वक्ष को रूक कर नजर भर देख सीटी बजा रस पीने का हक महिलाओं का हो सुबह गई बेटी सांझ ढले तक निर्भय लौटे फ़िकरों , बेलौस तंज के मौसम बदले नन्ही आवाज़ों के किलकारी फिर गटर में ना गूँजे पुरूष के लिए बस देह भर रहने की कसक ना रहने दो कुछ सोच बदलो कुछ खुद का चलन कुछ निकटता दो कुछ बातों को वज़न मात्र एक दिन नहीं उसे दर्जा दो सम्मान दो और प्यार लो... अगर दे पाओ तो कुछ ऐसा दो ईमान से फिर तुम्हें जरूरत नहीं पड़ेगी किसी भी एक ऐसे दिन की ~
Anjana Tandon

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