Monday, March 22, 2021

" मैं लोगों से ..मुलाक़ातों ..के लम्हे याद.. रखती हूँ... * " मैं लोगों से .. मुलाक़ातों .. के लम्हे याद.. रखती हूँ... मैं बातें .. भूल भी जाऊं .. तो लहज़े याद.. रखती हूँ ; सर-ए-महफ़िल निगाहें.. मुझ पे .. जिन लोगों की पड़ती हैं ... निगाहों के .. हवाले से .. वो चेहरे याद.. रखती हूँ ; ज़रा सा हट के.. चलती हूँ .. ज़माने की रिवायत से... के जिन पे बोझ.. मैं डालूँ ..वो कंधे याद.. रखती हूँ ; दोस्ती जिस से की .. उस से .. निभाऊंगी जी जाँ से... के मैं दोस्ती के.. हवाले से .. रिश्ते याद.. रखती हूं ; मैं यूँ तो भूल..जाती हूँ .. खराशें.. तल्ख़ बातों की ... मग़र जो ज़ख्म.. गहरे दें वो .. रवैय्ये याद.. रखती हूँ..."

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