Wednesday, March 24, 2021

तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे तू ही तू, तू ही तू मनरंगी रे दिल का साया, हमसाया सतरंगी रे, मनरंगी रे कोई नूर है तू, क्यों दूर है तू जब पास है तू, एहसास है तू कोई ख्वाब है या परछाई है, सतरंगी रे तू ही तू, जीने की सारी खुशबू तू ही तू , तू ही तू आरज़ू आरज़ू तेरी जिस्म की आँच को छूते ही मेरे साँस सुलगने लगते हैं मुझे इश्क दिलासे देता है, मेरे दर्द बिलगने लगते हैं तू ही तू , तू ही तू, जीने की सारी खुशबू तू ही तू , तू ही तू आरज़ू आरज़ू छूती मुझे सरगोशी से आँखो में घूली खामोशी से मैं फर्श पे सजदे करता हूँ कुछ होश में कुछ बेहोशी से दिल का साया, हमसाया सतरंगी रे, मनरंगी रे ...

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