Thursday, February 04, 2021

बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये शायद वो दर्द जाने, शायद वो लौट आये बैठे हैं रहगुज़र पर ... आकाश पर सितारे चल चल के थम गए हैं शबनम के सर्द आँसू फूलों पे जम गए हैं हम पर नहीं किसी पर ऐ काश रहम खाये शायद वो दर्द जाने, शायद वो लौट आये बैठे हैं रहगुज़र पर ... राहों में खो गई हैं हसरत भरी निगाहें कब से लचक रही हैं अरमान की नर्म बाहें हर मोड़ पर तमन्ना आहट उसी की पाये शायद वो दर्द जाने, शायद वो लौट आये बैठे हैं रहगुज़र पर ...

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