साहिलों पे बहनेवाले कभी सुना तो होगा कही
कागजों की कश्तियों का कही किनारा होता नही
ओ माझी रे, माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वो अपना किनारा हैं
पानीयों में बह रहे हैं , कई किनारे टूटे हुये
रासतों में मिल गये हैं सभी सहारे छूटे हुये
कोई सहारा मझधारे में मिले जो अपना सहारा है .....
https://youtu.be/KsBnr89VRPY
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