Tuesday, October 06, 2020


साहिलों पे बहनेवाले कभी सुना तो होगा कही कागजों की कश्तियों का कही किनारा होता नही ओ माझी रे, माझी रे कोई किनारा जो किनारे से मिले वो अपना किनारा हैं पानीयों में बह रहे हैं , कई किनारे टूटे हुये रासतों में मिल गये हैं सभी सहारे छूटे हुये कोई सहारा मझधारे में मिले जो अपना सहारा है ..... https://youtu.be/KsBnr89VRPY

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