Tuesday, October 27, 2020

गुलों को सुनना ज़रा तुम, सदायें भेजी हैं गुलों के हाथ बहुत सी, दुआएं भेजी हैं जो अफताब कभी भी गुरूब नहीं होता हमारा दिल है, इसी कि शुआयें ो शख़्स खिलते गुलाब जैसा ! भेजी हैं..... * Ye Suhani Subah Aaapke Naam *🌸🌺 🌺🌸 मोहब्बतों के निसाब जैसा , वो इक चेहरा किताब जैसा ; महकता है मेरे क़ल्ब-ओ-जाँ में , व ो शख़्स खिलते गुलाब जैसा ! ो शख़्स खिलते गुलाब जैसा !🌸🌺

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