मेरे हिया की माटी मे अक्षर खिला
मेरे काले कन्हैया से अंबर को
अब राधिका जैसा चाँद मिला....
यह इश्क़ ख़ुदा की रहमत है
यह जिस्म उसीकी इबादत है
यह धरती की जो नेमत है
यह अहले ख़ुदा की मुहब्बत है....
और मुहब्बत से बढ़ कर कुछ भी नही
देखो, हम भी नही और तुम भी नही
जब ख़ुद ही ख़ुदा का रूप हुए
तो ख़ुदी का यह बंधन टूट चला
~ अमृता प्रीतम
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