Monday, September 21, 2020

*"मुझे तैरने दे या* *फिर बहना सिखा दे,* *अपनी रजा में* *अब तू रहना सिखा दे,* *मुझे शिकवा ना हो* *कभी भी किसी से,* *ऐ कुदरत...* *मुझे सुख और* *दुख के पार* *जीना सिखा दे...* *"मेरा मजहब तो* *ये दो हथेलियाँ बताती है...* *जुड़े* *तो* *"पूजा"* *खुले तो "दुआ"* *कहलाती हैं...*💐💐 🌹🙏🌹 *ना बुरा होगा, ना बढ़िया होगा!* *होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा..!!* *हजार महफिलें हों, लाख मेले हों!* *पर जब तक खुद से न मिलो, अकेले हो..!!* 😊 *सदा मुस्कराते रहिए!*😊 💐🌹 *सुप्रभात*🌹💐

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