सुर्ख गुलाब की भीनी सुगंध
.जेहन मे भर जाती सी
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मन मकरंद तन गुलकंद
अपने. पास बुलाती सी
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कोमल पंखुड़ियो का
स्पर्श इक एहसास
तुम बन छू जाती सी
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धीमा नशा बन चढ़ा
मन मेरा बौराती सी
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सिमटू या समेट लूँ
पलपल मोह.जगाती सी
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जाने. क्या जादू भरती
खींच पास.ले जाती सी
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जब जब देखा सुर्ख गुलाब
खुशबू इक मदमाती
मेरे यादों को महकाती सी ...💗❤🌹√,•*´✿((((((( )))))
https://youtu.be/OiZ1cABZusY
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