Monday, August 10, 2020

 

तुम्हें सुबह का होश लिखूँ या रात की खुमारी लिखूँ ,
तू तो खुद एक गज़ल है,बता तुझपे क्या शायरी लिखूँ...
 

0 Comments:

Post a Comment

<< Home