Friday, June 12, 2020

लडखडाए तो खुद को सहारा करते है
हम अपनी मौज को अपना किनारा करते है

बहुत हसीन समझते है अपने आप को हम
जब आईने में हम अपना न.जारा करते है

हम अपने घर को सजाते है आसमाँ की तरह
इसी में चाँद इसी में सितारा करते है


ग़ज़ल के पीछे भटकते है सोई रातो में
ये है खसारा तो फिर हम खसारा करते है


वो जिसका नाम है शौहरत, कमाल लड़की है
हम उसके वास्ते क्या-क्या गवारा करते है


मुहब्बतों की जुबा हर्फ़ से नहीं बनती
मुहब्बतों में दिलो से पुकारा करते है 💙💛
- शकील आज़मी














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