कोई चाहत, कोई हसरत भी नहीं
क्यूँ सुकूँ दिल को मेरे फिर भी नहीं
जाने क्यूँ मिलती रही उसकी सज़ा
जो ख़ता हमने अभी तक की नहीं
क्यूँ सुकूँ दिल को मेरे फिर भी नहीं
जाने क्यूँ मिलती रही उसकी सज़ा
जो ख़ता हमने अभी तक की नहीं
दिल तो पत्थर हो गया, धड़कनें लाएँ कहाँ से
वक़्त हमको ले गया है, लौट के आएँ कहाँ से
वक़्त हमको ले गया है, लौट के आएँ कहाँ से
फ़क़त रेशम सी गांठें थीं...ज़रा सी खोल ली जातीं,
अगर दिल में शिकायत थीं,जुबां से बोल लीं जातीं,
अगर दिल में शिकायत थीं,जुबां से बोल लीं जातीं,
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो 'कायर',
बताऊँ तो 'शायर'।।
न बताऊं तो 'कायर',
बताऊँ तो 'शायर'।।
जिस पल अनजाने में उँगलिया तेरा नाम लिखती है
उस पल की खुशबू से दिन रात मेरी महकती हैं
उस पल की खुशबू से दिन रात मेरी महकती हैं
यादों से यादों का तालुक्कात है
यूँ ही ये दर्द उठता नहीँ है तन्हा
यूँ ही ये दर्द उठता नहीँ है तन्हा
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