Saturday, April 04, 2020

हर बशर बुझा बुझा
क्यूँ है,
कारवांँ मोड़ पर रुका रुका
क्यूँ है,
लिखते लिखते ज़रूर
रोया है कोई,
खत का मज़मून
मिटा मिटा क्यूँ है,
उसने लौटा तो दी
किताब मेरी,
मगर एक पन्ना
मुड़ा मुड़ा क्यूँ है....!!🪔 📜🗞️📑☕✍️
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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