Thursday, March 26, 2020

पहचान तो थी, पहचाना नहीं
मैंने अपने आप को जाना नहीं
मैं जागी रही कुछ सपनों में,
और जागी हुई भी सोई रही
जाने किन भूल भुलय्या में कुछ
भटकी रही कुछ खोई रही
जीने के लिए मैं मरती रही,
जीने का इशारा समझा नही
~gulza


0 Comments:

Post a Comment

<< Home