Saturday, March 28, 2020

" तुम वहाँ साँझ का सूरज देखो,
मैं यहाँ उसमें तुम्हे पा लूंगा,
तुम वहां जुल्फ के जरा खम खोलो,
मैं आब-ए-चश्म मैं सहला लूंगा,
तुम ख्यालों में यूँही खुश हो लो,
मैं तुम्हे सोच के मुस्करा लूंगा,


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