क़ुरबतें भी नहीं, फ़ासिले भी नहीं
आप मिल भी गये, यूँ मिले भी नहीं
ज़िन्दगी एक तन्हा मुसलसल सफ़र
मन्ज़िलें भी नहीं, क़ाफ़िले भी नहीं
किस तरह तेरी यादों को आवाज़ दूँ
दरमियाँ दर्द के सिलसिले भी नहीं
मौसमे-गुल भी जाता है अब देखिए
फूल मेरे चमन में खिले भी नहीं
दिल मेरे कौन सी यह जगह है, जहाँ
मसरतें भी नहीं हैं, गिले भी नहीं.......🌼🌾
🌾🌼
''अजब ये मरहला आया के हिज्र औ क़ुर्ब यकसां हैं ,
असर अब कुछ नहीं होता जफ़ा कर लो , वफ़ा कर लो ''🌼🌾
'' कैसे खुद को जुदा करूँ , मेरे अंदर बेशुमार हो तुम !''🌸🌺💗
🌼🌾🌸🌺💗
आप मिल भी गये, यूँ मिले भी नहीं
ज़िन्दगी एक तन्हा मुसलसल सफ़र
मन्ज़िलें भी नहीं, क़ाफ़िले भी नहीं
किस तरह तेरी यादों को आवाज़ दूँ
दरमियाँ दर्द के सिलसिले भी नहीं
मौसमे-गुल भी जाता है अब देखिए
फूल मेरे चमन में खिले भी नहीं
दिल मेरे कौन सी यह जगह है, जहाँ
मसरतें भी नहीं हैं, गिले भी नहीं.......🌼🌾
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''अजब ये मरहला आया के हिज्र औ क़ुर्ब यकसां हैं ,
असर अब कुछ नहीं होता जफ़ा कर लो , वफ़ा कर लो ''🌼🌾

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