" मैं लोगों से ..मुलाक़ातों ..के लम्हे याद.. रखती हूँ...
" मैं लोगों से .. मुलाक़ातों .. के लम्हे याद.. रखती हूँ...
मैं बातें .. भूल भी जाऊं .. तो लहज़े याद.. रखती हूँ ;
सर-ए-महफ़िल निगाहें.. मुझ पे .. जिन लोगों की पड़ती हैं ...
निगाहों के .. हवाले से .. वो चेहरे याद.. रखती हूँ ;
ज़रा सा हट के.. चलती हूँ .. ज़माने की रिवायत से...
के जिन पे बोझ.. मैं डालूँ ..वो कंधे याद.. रखती हूँ ;
दोस्ती जिस से की .. उस से .. निभाऊंगी जी जाँ से...
के मैं दोस्ती के.. हवाले से .. रिश्ते याद.. रखती हूं ;
मैं यूँ तो भूल..जाती हूँ .. खराशें.. तल्ख़ बातों की ...
मग़र जो ज़ख्म.. गहरे दें वो .. रवैय्ये याद.. रखती हूँ..."💜💛🌸
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" मैं लोगों से .. मुलाक़ातों .. के लम्हे याद.. रखती हूँ...
मैं बातें .. भूल भी जाऊं .. तो लहज़े याद.. रखती हूँ ;
सर-ए-महफ़िल निगाहें.. मुझ पे .. जिन लोगों की पड़ती हैं ...
निगाहों के .. हवाले से .. वो चेहरे याद.. रखती हूँ ;
ज़रा सा हट के.. चलती हूँ .. ज़माने की रिवायत से...
के जिन पे बोझ.. मैं डालूँ ..वो कंधे याद.. रखती हूँ ;
दोस्ती जिस से की .. उस से .. निभाऊंगी जी जाँ से...
के मैं दोस्ती के.. हवाले से .. रिश्ते याद.. रखती हूं ;
मैं यूँ तो भूल..जाती हूँ .. खराशें.. तल्ख़ बातों की ...
मग़र जो ज़ख्म.. गहरे दें वो .. रवैय्ये याद.. रखती हूँ..."💜💛🌸
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